प्रभात संगीत दिवस : 14 सितंबर को झारखंड के देवघर में आनंद मार्ग के प्रवर्तक भगवान श्रीश्री आनंदमूर्ति जी ने प्रथम प्रभात संगीत “बंधु हे नीय चलो” बांग्ला भाषा में देकर मानव मन को कर दिया भक्ति उन्मुख 

आज से लगभग 7000 वर्ष पूर्व भगवान सदाशिव ने सरगम का आविष्कार कर मानव मन के सभी व्यक्तियों को प्रकट करने का सहज रास्ता खोल दिया था। इसी कड़ी में 14 सितंबर 1982 को झारखंड राज्य के देवघर में आनंद मार्ग के प्रवर्तक भगवान श्रीश्री आनंदमूर्ति जी ने प्रथम प्रभात संगीत “बंधु हे नीय चलो” बांग्ला भाषा में देकर मानव मन को भक्ति उन्मुख कर दिया। 8 वर्ष एक महीना और 7 दिन के छोटे सी अवधि में भगवान श्रीश्री आनंदमूर्ति जी ने 5018 प्रभात संगीत का अवदान मानव जीवन को दिया। आशा के इस गीत को गाकर कितनी जिंदगियां संवर गई l प्रभात संगीत के भाव, भाषा, छंद, सूर एवं ताल अद्वितीय और अतुलनीय है। बांग्ला, उर्दू, हिंदी, अंगिका, मैथिली, मगही और अंग्रेजी भाषा में प्रस्तुत प्रभात संगीत मानव मन में ईश्वर प्रेम के प्रकाश फैलाने का काम करता है। संगीत साधना में तल्लीन साधकों को एक बार प्रभात संगीत रूपी अमृत का स्पर्श पाकर अपनी साधना को सफल करना चाहिए। इस पृथ्वी पर उपस्थित मनुष्य के मन में ईश्वर के लिए उठने वाले हर प्रकार के भाव को सुंदर भाषा और सुर में लयबद्ध कर प्रभात संगीत के रूप में प्रस्तुत कर दिया। उन्होंने कहा कि कोई भी मनुष्य जब पूर्ण भाव से प्रभात संगीत के साथ खड़ा हो जाता है तो रेगिस्तान भी हरा हो जाता है l संगीत तथा भक्ति संगीत दोनों को ही रहस्यवाद से प्रेरणा मिलती है रहती है। जितनी भी सूक्ष्म तथा देवी अभिव्यक्तियां हैं वह संगीत के माध्यम से ही अभिव्यक्त हो सकती है l मनुष्य जीवन की यात्रा विशेषकर अध्यात्मिक पगडंडियों प्रभात संगीत के सुर से सुगंधित होता है। आजकल प्रभात संगीत एक नए घरiने के रूप में लोकप्रिय हो रहा है

14 सितंबर को प्रभात संगीत संध्या का आयोजन :

आचार्य रमेंद्रiनंद अवधूत ने कहा कि 14 सितंबर 2022 को आनंद मार्ग प्रचारक संघ, बोकारो के चास प्रभात कॉलोनी स्थित जागृति में प्रभात संगीत संध्या का आयोजन किया गया है। प्रभात संगीत संध्या का आयोजन संध्याकालीन 5:00 बजे से 7:00 बजे तक किया जाएगा।


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