Poem: यदि अंबेडकर तब होते!

Poem: यदि अंबेडकर तब होते!

न्यूज इंप्रेशन

Lucknow: यदि अंबेडकर तब होते!

माता सीता करती सवाल:

स्वामी, हम दोनों ही

उतने ही समय रहे हैं अलग-अलग,

तो फिर अग्नि परीक्षा मैं अकेले ही

क्यों दूँ?

आप भी तो कूदें अग्निकुंड में,

पूरे राज्य को ज्ञात हो—

कौन है मर्यादित?

सिर्फ स्त्री होने से

क्यों खड़ा हो रहा

मेरे सतीत्व पर संशय?

पुरुषोत्तम की

कब होगी अग्निपरीक्षा?

रावण भी था मूढ़,

क्या उसका अपराध

मेरा पाप बन गया?

सूपर्णखा का नाक-कान काटा लक्ष्मण ने,

तो उसने उठाया मुझे—

मैं उससे कैसे लड़ती?

धर्म ने तो घोषित किया है मुझे अबला,

यदि करती दुस्साहस प्रतिकार का,

खंड-खंड हो जाती

आपकी मर्यादा पुरुषोत्तम की छवि।

आप ठहरे जल-थल-नभ,

तीनों लोकों के स्वामी,

फिर भी मेरे गिरे जेवरों से

ढूंढ रहे थे राह।

कहिए, स्वामी—

मर्यादा सिर्फ स्त्री के लिए ही क्यों?

कब बदलेगा यह विधान,

कब सब पर लागू होगा धर्म समान?

यदि अंबेडकर तब होते,

वे पूछते आपसे यही सवाल?

(गौतम राणे सागर, राष्ट्रीय संयोजक,संविधान संरक्षण मंच)


Posted

in

by

Tags:

Comments

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *